Monday, October 5, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 06 October 2020

                            From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 
Nature Dawn Painting on 06 October 2020

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सुभाषितानि 





संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं। 


यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा , शास्त्रं तस्य करोति किम्। 
   लोचनाभ्याम्  विहीनस्य ,  दर्पणः  किं   करिष्यति ।।  

जिसके  पास स्वयं की प्रज्ञा  (ही) नहीं है विवेक  (ही) नहीं है शास्त्र उसका क्या कर सकता है ? (जैसे) लोचनविहीन व्यक्ति अर्थात् नेत्रहीन व्यक्ति का दर्पण क्या करेगा ? नेत्रहीन के  लिए जैसे दर्पण व्यर्थ है वैसे ही  प्रज्ञाहीन-विवेकहीन के लिए शास्त्र। 






Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha

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