Saturday, October 17, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 18 October 2020

                                  From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

Nature Dawn Painting on 18 October 2020

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सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं। 


नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः। 
  नास्ति मातृसमं त्राण,    नास्ति मातृसमा प्रिया ।

माता सदृश कोई छाया नहीं है, माता  सदृश कोई अवलंब नहीं सहारा नहीं। माता सदृश कोई त्राण करनेवाला नहीं रक्षक नहीं  एवं माता सदृश कोई प्रिय नहीं।   



Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha

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