From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Nature Dawn Painting on 12 October 2020
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सुभाषितानि
सुभाषितानि
संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं प्रेरणादायी हैं प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।
न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि।
व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्।।
न चोर चुरा सकता है, न राजा हरण या छीन सकता है, न इसका भाईयों के बीच विभाजन हो सकता है और न (यह) भारकारी (भारी ) होता है (अतः इसे सम्भालना भी कठिन नहीं) । व्यय यानी खर्च करने पर यह नित्य निरन्तर बढ़ता ही है - (ऐसा धन) विद्याधन सभी धनों में प्रधान है श्रेष्ठ है ।
Image (C) Dr Ajay Kumat Ojha |
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