From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Nature Dawn Painting on 25 October 2020
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सुभाषितानि
संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं प्रेरणादायी हैं प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।
विजयादशमी की शुभकामनाएँ
वदनं प्रसादसदनं सदयं हृदयं सुधामुचो वाचः।
करणं परोपकरणं येषां केषां न ते वन्द्याः।।
जिसका वदन यानी मुखमंडल प्रसन्नता से पूर्ण रहता हो परिपूर्ण रहता हो, ह्रदय दया से पूर्ण रहता हो, वाणी अमृत सदृश मधुर हो एवं जिसके कार्य सदैव परोपकार हेतु हों - भला ऐसा व्यक्ति किसके लिए वंदनीय नहीं होता ?
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