From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Nature Dawn Painting on 20 October 2020
(The whole article along with all the images are subject to IPR)
सुभाषितानि
संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं प्रेरणादायी हैं प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्।।
माता या माँ सर्वतीर्थमयी होती है अर्थात् माँ की पूजा, माँ का आदर सम्मान करने से सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है। पिता सर्वदेवमय होते हैं अर्थात् उनमें सभी देवताओं का वास होता है। इसलिए माता पिता की सर्वयत्न से सभी प्रकार से पूजा करनी चाहिए उनका आदर-सम्मान करना चाहिए।
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
No comments:
Post a Comment