Tuesday, October 13, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 14 October 2020

                               From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

Nature Dawn Painting on 14 October 2020

(The whole article along with all the images  are subject to IPR))



सुभाषितानि 





संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं। 



पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम्।
 मूढैः  पाषाणखण्डेषु    रत्नसंज्ञा विधीयते।

 
(इस) पृथ्वी या धरती पर  तीन (ही ) रत्न हैं  - जल, अन्न, सुभाषित (सुवचन, सूक्ति, अनमोल वचन )।  पर मूढ़ लोग या मूर्ख-अज्ञानी पाषाण के खण्ड को पत्थर के टुकड़े को रत्न की संज्ञा देते हैं।     




Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha


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