Monday, August 31, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Dawn Nature Painting on 01 September 2020

From the Eyes of Dr Ajay  Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 01 September 2020


(The whole article along with all the images  are subject to IPR)





सुभाषितानि 


सुभाषित शब्द "सु" एवं "भाषित " के योग से बना हुआ है जिसका अर्थ  है "सुन्दर भाषा में कहा गया"। संस्कृत भाषा के सुभाषित जीवन के दीर्घकालिक अनुभवों के आगार हैं, भण्डार हैं। अनुभवों के ये आगार अत्यंत प्राचीन हैं  हजारों वर्ष प्राचीन, एवं ये विश्व के विभिन्न देशों के दार्शनिकों के लिए भी अद्भुत स्रोत।  यही कारण है कि  विश्व के विभिन्न भाषाओं में इससे मिलते जुलते विचार आपको अधिकांशतः मिल ही जायेंगे विभिन्न दार्शनिकों-विचारवेत्ताओं के अपने नाम पर। 


काको कृष्णः पिको कृष्णः को भेदो पिककाकयो। 
वसन्त काले संप्राप्ते   काको काकः  पिको पिकः।। 


कौवा कृष्ण वर्ण  यानी  काले  रंग का होता है और कोयल भी काले रंग की ही होती  है फिर कोयल एवं कौवे में क्या भेद है क्या अन्तर  है ? वसन्त ऋतु के आगमन होते ही पता चल जाता है कि कौवा कौवा होता है और कोयल कोयल होती  है। 






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Sunday, August 30, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Dawn Nature Painting on 31 August 2020

From the Eyes of Dr Ajay  Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 31 August 2020


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सुभाषितानि 


सुभाषित शब्द "सु" एवं "भाषित " के योग से बना हुआ है जिसका अर्थ  है "सुन्दर भाषा में कहा गया"। संस्कृत भाषा के सुभाषित जीवन के दीर्घकालिक अनुभवों के आगार हैं, भण्डार हैं। अनुभवों के ये आगार अत्यंत प्राचीन हैं  हजारों वर्ष प्राचीन, एवं ये विश्व के विभिन्न देशों के दार्शनिकों के लिए भी अद्भुत स्रोत।  यही कारण है कि  विश्व के विभिन्न भाषाओं में इससे मिलते जुलते विचार आपको अधिकांशतः मिल ही जायेंगे विभिन्न दार्शनिकों-विचारवेत्ताओं के अपने नाम पर। 



शान्तितुल्यं तपो नास्ति तोषान्न परमं सुखम्। 
नास्ति तृष्णापरो व्याधिर्न च धर्मो दयापरः।। 

शान्ति जैसा कोई तप नहीं है, संतोष  परम सुख है इसके जैसा कोई सुख नहीं है, कामना जैसी कोई व्याधि नहीं है और दया जैसा कोई धर्म नहीं है। 





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Saturday, August 29, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Dawn Nature Painting on 30 August 2020

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सुभाषितानि 


सुभाषित शब्द "सु" एवं "भाषित " के योग से बना हुआ है जिसका अर्थ  है "सुन्दर भाषा में कहा गया"। संस्कृत भाषा के सुभाषित जीवन के दीर्घकालिक अनुभवों के आगार हैं, भण्डार हैं। अनुभवों के ये आगार अत्यंत प्राचीन हैं  हजारों वर्ष प्राचीन, एवं ये विश्व के विभिन्न देशों के दार्शनिकों के लिए भी अद्भुत स्रोत।  यही कारण है कि  विश्व के विभिन्न भाषाओं में इससे मिलते जुलते विचार आपको अधिकांशतः मिल ही जायेंगे विभिन्न दार्शनिकों-विचारवेत्ताओं के अपने नाम पर। 



हंसो शुक्लः बको शुक्लः को भेदो बकहंसयो। 
 नीरक्षीरविवेके  तु हंसो      हंसः   बको बकः।
                                                 चाणक्य ज्ञान 

हंस भी शुक्ल यानी सफेद होता है और बगुला भी सफेद रंग का ही होता है तो फिर बगुला व हंस में क्या भेद है क्या अंतर है ? दूध और पानी पृथक कर देने का विवेक जिसमें होता है वही हंस होता है पर (विवेकहीन ) बगुला बगुला ही होता है।  





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