From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 14 August 2020
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सुभाषितानि
कार्यार्थी भजते लोकं यावत्कार्य न सिद्धति।
उत्तीर्णे च परे पारे नौकायां किम् प्रयोजनम्।।
कार्यार्थी भजते लोकं यावत्कार्य न सिद्धति।
उत्तीर्णे च परे पारे नौकायां किम् प्रयोजनम्।।
जब तक कार्य सिद्ध नहीं होते पूरे नहीं होते, तबतक कार्यार्थी (कार्य की सिद्धि चाहनेवाला ) प्रशंसा करता रहता है पर कार्य सिद्ध होने के उपरांत कार्य सिद्ध करनेवाले को भूल जाता है ठीक उसी तरह जैसे नदी को पार करने के उपरांत नौके (नाव) का क्या प्रयोजन ?
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha राष्ट्रभक्ति पर श्लोक |
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