From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 27 August 2020
(All the images are subject to IPR)
सुभाषितानि
धारणाद्धर्ममित्याहुः धर्मो धारयते प्रजाः।
यस्याद्धारणसंयुक्तं स धर्म इति निश्चयः।।
धारणाद्धर्ममित्याहुः धर्मो धारयते प्रजाः।
यस्याद्धारणसंयुक्तं स धर्म इति निश्चयः।।
"धर्म" शब्द की उत्पत्ति धारण शब्द से हुई है अर्थात् जिसे धारण किया जा सके वही धर्म है। धर्म ही प्रजा को यानी समाज को धारण किया हुआ है। यदि कोई धारणसंयुक्त है यानी उसमें धारण करने की क्षमता है तो निश्चय ही वह धर्म है।
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Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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