From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 26 August 2020
(All the images are subject to IPR)
सुभाषितानि
क्षणशः कणशश्चैव विद्यां अर्थं च साधयेत्।
क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम्।।
क्षणशः कणशश्चैव विद्यां अर्थं च साधयेत्।
क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम्।।
एक एक क्षण व्यर्थ किये बिना विद्या ग्रहण करनी चाहिए और एक एक कण बचा करके धन संचय करना चाहिए। क्षण को नष्ट करने पर विद्या कहाँ और कण को नष्ट करने पर धन कहाँ ?
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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