Saturday, August 15, 2020

देशभक्ति गीत " सूत्रधार अब राजनीति के हो जाएं आश्रमवासी , हम हों बस केवल...





देशभक्ति गीत शब्द : प्रो (डॉ ) रवीन्द्र नाथ ओझा गायक : डॉ अजय कुमार ओझा संगीत : रवि मैथ्यू आभार : कक्कू वॉइस प्रस्तुति : डॉ अजय कुमार ओझा मिट जाएँ अब जाति - धरम सब मिट जाएँ नफरातरासी हम हों केवल हिन्दुस्तानी हों बस केवल भारतवासी। मानववाद ही एक धरम हो, मानववाद हो एक करम , मानव सब धरमों से प्यारा , कोई न मन में रहे भरम , हर नर राजा , नारी रानी , मिटे सभी वैषम्य -कहानी , गूँजे चहुँदिसि दिग्दिगंत में साम्य और समता की बानी हर कुटिया मालिक हो अपनी, यहाँ न कोई दासादासी , मिट जाएँ अब जाति - धरम सब मिट जाएँ नफरातरासी हम हों केवल हिन्दुस्तानी हों बस केवल भारतवासी। हर पंछी को नीड़ हो अपना , हर नौका को लंगर , हर राधा को सहज सुलभ हो वंशीधर पीतांबर , हर सीता को मिला करे , मनभावन श्यामल सुवर , धरती का हर प्रणय निवेदन सुना करे नीलांबर , लक्ष्मण को कोई बाण लगे नहीं , राम न हों वनवासी, मिट जाएँ अब जाति - धरम सब मिट जाएँ नफरातरासी हम हों केवल हिन्दुस्तानी हों बस केवल भारतवासी। यहाँ नहीं बाणों से आहत क्रोन्च करे कोई क्रन्दन , फँसे नहीं अभिमन्यु व्यूह में , सभी काष्ठ हों चन्दन , हर सरिता को पास बुलावे उसका प्रेमी सागर , हरी भरी सब यौवन क्यारी भरी - भरी हो गागर , सूत्रधार अब राजनीति के हो जाएँ आश्रमवासी , मिट जाएँ अब जाति - धरम सब मिट जाएँ नफरातरासी हम हों केवल हिन्दुस्तानी हों बस केवल भारतवासी। प्रो (डॉ ) रवीन्द्र नाथ ओझा

No comments:

Post a Comment