From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 31 August 2020
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सुभाषितानि
सुभाषित शब्द "सु" एवं "भाषित " के योग से बना हुआ है जिसका अर्थ है "सुन्दर भाषा में कहा गया"। संस्कृत भाषा के सुभाषित जीवन के दीर्घकालिक अनुभवों के आगार हैं, भण्डार हैं। अनुभवों के ये आगार अत्यंत प्राचीन हैं हजारों वर्ष प्राचीन, एवं ये विश्व के विभिन्न देशों के दार्शनिकों के लिए भी अद्भुत स्रोत। यही कारण है कि विश्व के विभिन्न भाषाओं में इससे मिलते जुलते विचार आपको अधिकांशतः मिल ही जायेंगे विभिन्न दार्शनिकों-विचारवेत्ताओं के अपने नाम पर।
शान्तितुल्यं तपो नास्ति तोषान्न परमं सुखम्।
नास्ति तृष्णापरो व्याधिर्न च धर्मो दयापरः।।
शान्ति जैसा कोई तप नहीं है, संतोष परम सुख है इसके जैसा कोई सुख नहीं है, कामना जैसी कोई व्याधि नहीं है और दया जैसा कोई धर्म नहीं है।
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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