5 अगस्त 2020 ऐतिहासिक दिन है :
सांस्कृतिक महा-उत्सव का दिन है
सांस्कृतिक महा-पर्व का दिन है
सांस्कृतिक महा-अनुष्ठान का दिन है
पाँच शताब्दी के महा-वनवास के उपरान्त श्री राम, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, भारतीय संस्कार के प्रतीक श्री राम, भारतीय संस्कृति के आधार श्री राम, भारत की आत्मा श्री राम, भारत के कण-कण में, भारत के रोम रोम में बसने वाले श्री राम - जगत के स्वामी, अन्तर्यामी, जगतदाता, विश्वविधाता अपनी जन्मभूमि के अपने घर में प्रवेश कर रहे हैं। श्री राम दशकों से अपनी ही जन्मभूमि पर टाट और टेंट में वास कर रहे थे। कितना बड़ा दुर्भाग्य।
पर श्री राम कभी भी अमर्यादित नहीं हुए, कभी अधीर नहीं हुए, कभी व्यथित, बेचैन नहीं हुए - आक्रान्ताओं, आतातायियों, आतंकवादियों के दमन-दुर्व्यवहार-दुराचार से।
5 अगस्त 2020 को भारत के यशस्वी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों द्वारा रामजन्मभूमि पूजन अनुष्ठान समस्त देशवासियों के अथाह उमंग व उत्साह के बीच सम्पन्न हुआ। सब अपनी अपनी तरह से कुछ न कुछ योगदान दे रहे हैं। मेरी तरफ श्रद्धा सुमन के रूप में एक भजन श्री राम को अर्पित है।
भजन : "श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन ... "
गायक : डॉ अजय कुमार ओझा
प्रो रवीन्द्र नाथ ओझा के शब्दों में :
" विश्व को भारत की सबसे बड़ी देन है - राम की परिकल्पना। राम की परिकल्पना भारत के समस्त प्राणों की परिकल्पना है , भारत की समस्त चेतना-ऊर्जा का एकत्रीकरण है, संपुटीकरण है, घनीभूतीकरण है। रामत्व में भारत की सारी आत्मा समाहित है , भारत की पूरी संस्कृति सन्निविष्ट है।"
प्रो रवीन्द्र नाथ ओझा की "निर्माल्यं" पुस्तक के एक ललित निबंध 'राम राम हरे हरे ' से उद्धृत
"राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।"
आलेख, पार्श्व स्वर व प्रस्तुति : डॉ अजय कुमार ओझा
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