From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 17 August 2020
(All the images are subject to IPR)
सुभाषितानि
परोपकाराय फलन्ति वृक्षा: परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकारार्थमिदं शरीरम्।।
परोपकाराय फलन्ति वृक्षा: परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकारार्थमिदं शरीरम्।।
परोपकार के लिए वृक्ष (पेड़) फल देते हैं, परोपकार के लिए नदियाँ बहती हैं, परोपकार के लिए गायें दूध देती हैं, यह शरीर परोपकारार्थ है - परोपकार के लिए है।
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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