From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 24 August 2020
(All the images are subject to IPR)
सुभाषितानि
दुर्जनेन समं सख्यं प्रीतिं चापि न कारयेत्।
उष्णो दहति चांगार:शीतः कृष्णायते करम्।।
दुर्जनेन समं सख्यं प्रीतिं चापि न कारयेत्।
उष्णो दहति चांगार:शीतः कृष्णायते करम्।।
दुर्जन से मित्रता और प्रीति नहीं करनी चाहिए क्योंकि वे कोयले सदृश होते हैं। कोयला गर्म होता है तो जला देता है एवं शीतल या ठंढा होने पर शरीर को काला कर देता है।
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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