Friday, August 7, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Dawn Nature Painting on 08 August 2020

From the Eyes of Dr Ajay  Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 08   August 2020


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सुभाषितानि


परो अपि हितवान् बन्धुः बन्धुः अपि अहितः परः। 
अहितः देहजः व्याधि: हितम् आरण्यं औषधम्। 


अगर कोई पराया या अपरिचित व्यक्ति सहायता करे तो उसे अपने बंधु यानी परिवार के सदस्य की तरह ही महत्त्व देना चाहिए किन्तु यदि  आपका अपना बंधु, परिवार का व्यक्ति आपका अहित करे तो उसे महत्त्व देना बंद कर देना चाहिए, पराया कर देना चाहिए।  ठीक उसी तरह जैसे देह या शरीर की कोई व्याधि या रोग-पीड़ा अहित करती है तो तकलीफ होती है वहीं आरण्य यानी जंगल की औषधि हितकारी होती है लाभदायक होती है। 





Image (C ) Dr Ajay Kumar Ojha

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