From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 30 August 2020
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सुभाषितानि
सुभाषित शब्द "सु" एवं "भाषित " के योग से बना हुआ है जिसका अर्थ है "सुन्दर भाषा में कहा गया"। संस्कृत भाषा के सुभाषित जीवन के दीर्घकालिक अनुभवों के आगार हैं, भण्डार हैं। अनुभवों के ये आगार अत्यंत प्राचीन हैं हजारों वर्ष प्राचीन, एवं ये विश्व के विभिन्न देशों के दार्शनिकों के लिए भी अद्भुत स्रोत। यही कारण है कि विश्व के विभिन्न भाषाओं में इससे मिलते जुलते विचार आपको अधिकांशतः मिल ही जायेंगे विभिन्न दार्शनिकों-विचारवेत्ताओं के अपने नाम पर।
हंसो शुक्लः बको शुक्लः को भेदो बकहंसयो।
नीरक्षीरविवेके तु हंसो हंसः बको बकः।।
चाणक्य ज्ञान
हंस भी शुक्ल यानी सफेद होता है और बगुला भी सफेद रंग का ही होता है तो फिर बगुला व हंस में क्या भेद है क्या अंतर है ? दूध और पानी पृथक कर देने का विवेक जिसमें होता है वही हंस होता है पर (विवेकहीन ) बगुला बगुला ही होता है।
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Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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