Saturday, October 10, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 11 October 2020

                               From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

Nature Dawn Painting on 11  October 2020

(The whole article along with all the images  are subject to IPR))



सुभाषितानि 





संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं। 



दुर्जनः स्वस्वभावेन परकार्ये विनश्यति। 
  नोदर तृप्तिमायाती मूषकः वस्त्रभक्षकः।। 


दुर्जन अर्थात् दुष्ट व्यक्ति अपने स्वभाव से दूसरो के कार्य का  काम का विनाश करता है दूसरे का काम बिगाड़ता है ।  पेट भरने के लिए या क्षुधातृप्ति के लिए मूषक (चूहा) वस्त्रभक्षण नहीं करता कपड़े नहीं काटता। 





Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha


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