Friday, October 23, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 24 October 2020

                                From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

Nature Dawn Painting on 24 October 2020

(The whole article along with all the images  are subject to IPR)



सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं। 


मातृवत्   परदारेषु   परद्रव्येषु    लोष्ठवत्। 
  आत्मवत्सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः

जो दूसरे की दारा को अर्थात् पत्नी को मातृवत यानी माता सदृश एवं दूसरे के द्रव्य को, धन को लोष्ठवत यानी पत्थर, मिट्टी के ढेले सदृश देखता है समझता है तथा  चराचर, सभी प्राणियों को आत्मवत देखता है, सभी प्राणियों में अपनी आत्मा का दर्शन करता है वही (सच्चे अर्थों  में) पंडित है ज्ञानी है। 




Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha

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