From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 02 September 2020
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सुभाषितानि
सुभाषित शब्द "सु" एवं "भाषित " के योग से बना हुआ है जिसका अर्थ है "सुन्दर भाषा में कहा गया"। संस्कृत भाषा के सुभाषित जीवन के दीर्घकालिक अनुभवों के आगार हैं, भण्डार हैं। अनुभवों के ये आगार अत्यंत प्राचीन हैं हजारों वर्ष प्राचीन, एवं ये विश्व के विभिन्न देशों के दार्शनिकों के लिए भी अद्भुत स्रोत। यही कारण है कि विश्व के विभिन्न भाषाओं में इससे मिलते जुलते विचार आपको अधिकांशतः मिल ही जायेंगे विभिन्न दार्शनिकों-विचारवेत्ताओं के अपने नाम पर।
न चौर्यहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि।
व्यये कृते वर्धत व नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्।।
न तो चोर चुरा सकता है, न ही राजा इसे हर सकता है ले सकता है , न ही भाई विभाजित कर सकता है और न ही यह भारी होता है कंधे पर बोझ होता है। व्यय करने पर इसमें वृद्धि होती है और नित्य होती है, ऐसा विद्याधन सभी धनों में प्रधान होता है।
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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