From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 03 September 2020
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सुभाषितानि
सुभाषित शब्द "सु" एवं "भाषित " के योग से बना हुआ है जिसका अर्थ है "सुन्दर भाषा में कहा गया"। संस्कृत भाषा के सुभाषित जीवन के दीर्घकालिक अनुभवों के आगार हैं, भण्डार हैं। अनुभवों के ये आगार अत्यंत प्राचीन हैं हजारों वर्ष प्राचीन, एवं ये विश्व के विभिन्न देशों के दार्शनिकों के लिए भी अद्भुत स्रोत। यही कारण है कि विश्व के विभिन्न भाषाओं में इससे मिलते जुलते विचार आपको अधिकांशतः मिल ही जायेंगे विभिन्न दार्शनिकों-विचारवेत्ताओं के अपने नाम पर।
जो चोरों को दिखाई नहीं पड़ता, किसी को देने से जिसका विस्तार होता है, कल्पान्त यानी प्रलय काल में भी जो नष्ट नहीं होता विनष्ट नहीं होता - (उस ) विद्या के अतिरिक्त ऐसा कौन सा द्रव्य है ?
हर्तृ र्न गोचरं याति दत्ता भवति विस्तृता।
कल्पान्तेsपि न या नश्येत् किमन्यद्विद्यया विना।।
जो चोरों को दिखाई नहीं पड़ता, किसी को देने से जिसका विस्तार होता है, कल्पान्त यानी प्रलय काल में भी जो नष्ट नहीं होता विनष्ट नहीं होता - (उस ) विद्या के अतिरिक्त ऐसा कौन सा द्रव्य है ?
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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