From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Nature Dawn Painting on 21 September 2020
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सुभाषितानि
सुभाषितानि
संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं प्रेरणादायी हैं प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं ।
सेवितव्यो महावृक्षः फलच्छाया समन्वितः।
यदि देवात्फलं नास्ति छाया केन निवार्यते।।
एक महावृक्ष की विशाल वृक्ष की सेवा करनी चाहिए क्योंकि वह फल एवं छाया (दोनों ) से समन्वित होता है युक्त होता है। यदि दैवयोग से फल नहीं भी होता है तो (उसकी शीतल) छाया किसके द्वारा रोकी जा सकती है कौन रोक सकता है ।
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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