Friday, September 18, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 19 September 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 
Nature Dawn Painting on 19  September 2020

(The whole article along with all the images  are subject to IPR))



सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं  । 



प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः। 
  तस्मात् तदैव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।


प्रिय या मधुर वाक्य प्रदान करने से यानी मधुर वाणी  बोलने से  सभी जीव सभी जन्तु तुष्ट हो जाते हैं संतुष्ट हो जाते हैं।  अतः ऐसी ही वाणी  ऐसे ही वचन सदैव बोलने  चाहिए। वचन में वाणी में क्या दरिद्रता क्या कंजूसी ?

  

Image (C)  Dr Ajay Kumar Ojha

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