From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature Painting on 09 September 2020
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सुभाषितानि
विद्या नाम नरस्य कीर्तिर्तुला भाग्यक्षये चाश्रयो।
धेनु: कामदुधा रतिश्च विरहे नेत्र तृतीयं च सा।।
विद्या नाम नरस्य कीर्तिर्तुला भाग्यक्षये चाश्रयो।
धेनु: कामदुधा रतिश्च विरहे नेत्र तृतीयं च सा।।
विद्या मनुष्य की अनुपम कीर्ति है तथा भाग्य के क्षय होने पर (विद्या) आश्रय देती है। (विद्या) कामधेनु है, (विद्या) विरह में रति सदृश है एवं वह ही तीसरा नेत्र है।
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