Wednesday, September 30, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 01 October 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 
Nature Dawn Painting on 01 October 2020

(The whole article along with all the images  are subject to IPR))



सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं। 




वृद्धजनों हेतु अन्तर्राष्ट्रीय दिवस 
1 अक्टूबर 

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। 
  चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलं।


जो व्यक्ति अभिवादनशील है विनम्र है एवं नित्य वृद्धों यानी बुजुर्गों की सेवा करता है - उसकी चार चीजों   आयु, विद्या, यश (कीर्ति ) तथा बल में वृद्धि होती है। (अर्थ व समायोजन : डॉ अजय कुमार ओझा )
  









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Tuesday, September 29, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 30 September 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 
Nature Dawn Painting on 30  September 2020

(The whole article along with all the images  are subject to IPR))



सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं। 


हस्तस्य भूषणं दानं सत्यं कण्ठस्य भूषणम्। 
  श्रोत्रस्य  भूषणं शास्त्रं भूषणैः किं प्रयोजनम्।। 

हस्त (हाथ ) का भूषण दान (देना ) है, कण्ठ का भूषण सत्य (बोलना) है, श्रोत्र (कर्ण /कान) का भूषण शास्त्र (सुनना) है तो तो अन्य भूषणों - आभूषणों का क्या प्रयोजन है क्या अभिप्राय है ?







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Monday, September 28, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 29 September 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 
Nature Dawn Painting on 29  September 2020

(The whole article along with all the images  are subject to IPR))



सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं। 



येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः। 
 ते मर्त्यलोके   भुविभारभूता      मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।। 


जिनके  (व्यक्ति के ) पास न विद्या है,  न तप है, न दान है, न ज्ञान है , न शील है, न गुण है, न धर्म है वे इस मर्त्यलोक में अर्थात् इस भूलोक में (पर) भार हैं बोझ हैं एवं मनुष्य के रूप में मृग (पशु ) की तरह चरते रहते हैं घूमते रहते हैं। 






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