Saturday, November 14, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 15 November 2020

                                From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

Nature Dawn Painting on 15 November 2020

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सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।

सुलभाः पुरुषाः राजन् सततं प्रियवादिनः। 
    अप्रियस्य तु पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभः।। 

हे  राजन् ! सतत प्रियवादी सदैव प्रिय बोलने वाले लोग  सर्वत्र सुलभ हैं  परन्तु सत्य या हितकर  एवं अप्रिय वचन 'बोलनेवाले' व 'सुननेवाले'  दोनों ही तरह  के लोग इस लोक में संसार में दुर्लभ हैं अर्थात् अच्छा न लगनेवाला व हित में बोलनेवाले तथा सुननेवाले लोग शायद ही मिलते हैं। 









Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha

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