From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Nature Dawn Painting on 30 November 2020
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सुभाषितानि
संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं प्रेरणादायी हैं प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।
स्वमर्थं यः परित्यज्य परार्थमनुतिष्ठति।
मिथ्या चरति मित्रार्थे यश्च मूढः स उच्यते।।
जो व्यक्ति अपना कार्य छोड़कर परायों के कार्य में लग जाता है एवं मित्रार्थ यानी मित्र हेतु उसके मिथ्या या गलत कार्यों में साथ देता है - वह मूढ़ अर्थात् मूर्ख कहा जाता है।
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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