Friday, November 20, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 21 November 2020

                              From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

Nature Dawn Painting on 21 November 2020

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लोक आस्था-लोक चेतना-लोक संस्कृति  के अद्भुत समन्वय पर्व  आदित्योत्सव अर्थात् छठ पर्व की 
अशेष मंगलकामनाएँ। 








सुभाषितानि 




संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।



  वनानि   दहतो   वन्हेः  सखा  भवति मारुतः। 
    स एव दीपनाशाय कृशे कस्यास्ति सौहृदम् । 

जब वन में आग लग जाती है तो मारूत यानी  पवन-हवा उसका सखा यानी मित्र बन जाता है, वही मारुत छोटे दीप का नाश भी कर देता है वही हवा एक छोटी सी  चिंगारी (दीप) को पलक झपकते ही बुझा देती है। इसलिए कृश का, कमजोर व्यक्ति का कहीं  कोई सौहृद या मित्र होता है ? अर्थात् कमजोर व्यक्ति का, निर्बल व्यक्ति का कोई मित्र नहीं होता। 
 



Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha

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