From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Nature Dawn Painting on 20 November 2020
(The whole article along with all the images are subject to IPR)
लोक आस्था-लोक चेतना-लोक संस्कृति के अद्भुत समन्वय पर्व आदित्योत्सव अर्थात् छठ पर्व की
अशेष मंगलकामनाएँ।
संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं प्रेरणादायी हैं प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।
गुणेषु क्रियतां यत्नः किमाटोपै: प्रयोजनम्।
विक्रीयन्ते न घण्टाभिः गावः क्षीरविवर्जिताः।।
अच्छे गुणों में सद्गुणों में वृद्धि का यत्न करना चाहिए प्रयास करना चाहिए, आडंबर करने से दिखावा करने से कोई लाभ नहीं होता। क्षीरविवर्जित गाय अर्थात् दूध न देनेवाली गाय (उसके गले में लटकी हुई) ) घण्टी बजाने से भी बेची नहीं जा सकती।
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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