Tuesday, November 17, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 18 November 2020

                                From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

Nature Dawn Painting on 18 November 2020

(The whole article along with all the images  are subject to IPR)



सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।



दम्भो दर्पोsभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च। 
अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ संपदमासुरीम्।। 
                                       श्रीमद्भगवद्गीता (अध्याय १६ श्लोक ४)

दम्भ अर्थात् पाखण्डीपन, दर्प अर्थात् गर्व  एवं अभिमान अर्थात् अहंकार तथा क्रोध, निष्ठुरता व अज्ञान भी - ये (लक्षण) हे पार्थ ! आसुरी  सम्पत्ति को लेकर जन्मे हुए मनुष्य के होते हैं।  



Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha

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