From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Nature Dawn Painting on 23 November 2020
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सुभाषितानि
संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं प्रेरणादायी हैं प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।
जानीयात्प्रेषणेभृत्यान् बान्धवान्व्यसनाssगमे।
मित्रं याssपत्तिकालेषु भार्यां च विभवक्षये।।
किसी महत्वपूर्ण कार्य हेतु भेजने पर भृत्य अर्थात् सेवक की पहचान होती है, व्यसन या दुराचरण के समय बन्धु-बान्धवों की, आपत्ति या विपत्ति काल में मित्र की, तथा विभवक्षय अर्थात् धन के क्षय-नष्ट हो जाने पर भार्या (पत्नी ) की।
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