From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Nature Dawn Painting on 24 November 2020
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सुभाषितानि
संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं प्रेरणादायी हैं प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।
नलिकागतमपि कुटिलं न भवति सरलं शुनः पृच्छम्।
तद्वत् खलजनहृदयं बोधितमपि नैव याति माधुर्यम्।।
जैसे कुत्ते की कुटिल-टेढ़ी पूँछ नली में डालने पर भी सरल-सीधी नहीं होती है ठीक वैसे ही खलजन अर्थात् दुष्ट व्यक्ति को समझाने बुझाने पर भी उसका हृदय मधुर नहीं होता उसका हृदय परिवर्तन नहीं होता।
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