Sunday, November 29, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 30 November 2020

                               From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

Nature Dawn Painting on 30  November 2020

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सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।



स्वमर्थं यः   परित्यज्य    परार्थमनुतिष्ठति। 
  मिथ्या चरति मित्रार्थे यश्च मूढः स उच्यते।।  

जो व्यक्ति अपना कार्य  छोड़कर परायों के कार्य  में लग जाता है एवं मित्रार्थ यानी मित्र हेतु उसके मिथ्या या गलत कार्यों में साथ देता है - वह मूढ़ अर्थात् मूर्ख कहा जाता है।  




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Saturday, November 28, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 29 November 2020

                                  From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

Nature Dawn Painting on 29  November 2020

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सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।


परोपदेश वेलायाम्  शिष्टाः सर्वे भवन्ति वै। 
  विस्मरन्तीह  शिष्टत्वं स्वकार्ये समुपस्थिते।

पर उपदेश यानी दूसरों को उपदेश देते वक्त सभी शिष्ट, श्रेष्ठ, सत्पुरुष, कुशल बन जाते हैं पर स्वकार्य के  समुपस्थित होने पर अपने काम के उपस्थित होने पर शिष्टता को विस्मृत कर जाते हैं भूल जाते हैं। 




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Friday, November 27, 2020

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : Nature Dawn Painting on 28 November 2020

                                From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

Nature Dawn Painting on 28 November 2020

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सुभाषितानि 




संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।

  निषेवते  प्रशस्तानि  निन्दितानी  न  सेवते। 
 अनास्तिकः श्रद्धान एतत् पण्डितलक्षणम्। 

 प्रशंसनीय कार्यों में लीन रहता है, निन्द्य कार्यों  (जिन कार्यों की निन्दा होती है) को नहीं अपनाता है  उससे दूर रहता है, अनास्तिक है अर्थात् नास्तिक नहीं है, सद्विचारों के प्रति श्रद्धावान है - ऐसे सद्गुण से युक्त  व्यक्ति में पण्डित के ज्ञानी के लक्षण होते हैं। 




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