From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature's Painting on 29 May 2020 during Lockdown
(All the images are subject to IPR)
चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः।
तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम।।४/१३।।
श्रीमद्भगवद्गीता
मेरे द्वारा गुणों और कर्मों के विभागानुसार (ब्राह्मण -क्षत्रिय -वैश्य शूद्र ) ये चार वर्ण रचित हुए हैं। (इस प्रकार मैं ) उस (सृष्टिरचनाकर्म ) का कर्त्ता होने पर भी मुझ अव्यय (परमेश्वर ) को तू (वास्तव में ) अकर्त्ता ही जान।
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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