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"गंगा "
"गंगा एक प्रेरणा है, कल्पना है, एक भावना है। गंगा ह्रदय है, आत्मा है, साधना है, शुद्धि है, सिद्धि है। गंगा उपनिषद् है, गीता है, गायत्री है। गंगा भारत है, भारतीयता है, भारत की आत्मा है। गंगा इतिहास है, पुराण है, मिथक है, प्रतीक है। गंगा सत्यं शिवम् सुन्दरं का धरती पर अवतरण है। "
निबंध : "बाढ़ में रानी घाट " से उद्धृत
पुस्तक : निर्माल्यं
लेखक : रवीन्द्र नाथ ओझा (Rabindra Nath Ojha )
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"Bear in mind, my children, that only cowards and those who are weak commit sin and tell lies. The brave are always moral. Try to be moral, try to be brave, try to be sympathizing ."
Swami Vivekanand
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