From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature's Painting on 17 May 2020 during Lockdown
(All the images are subject to IPR)
"अनन्त के उच्छ्वास हैं ये मेघ, असीम के परिमल-सुवास हैं ये मेघ, अनन्त की आकांक्षा-उद्भावना हैं ये मेघ, अनन्त की सृजनशीलता हैं ये मेघ, अनन्त के वैभव-वसंत के वाहक-गायक हैं ये मेघ, अनन्त के वेद-उपनिषद्, ऋषि-महर्षि, वाल्मीकि, कालिदास हैं ये मेघ। "
निबंध : "यदि मेघ न होते " से उद्धृत
पुस्तक : नैवेद्यं
लेखक : रवीन्द्र नाथ ओझा (Rabindra Nath Ojha )
Image (C ) Dr Ajay Kumar Ojha |
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