From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature's Painting on 17 July 2020
सुभाषितानि
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनं।
उपनिषद्
अर्थ : शरीर ही सभी धर्मों, कर्तव्यों को पूरा करने का साधन है।
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सुभाषितानि
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनं।
उपनिषद्
अर्थ : शरीर ही सभी धर्मों, कर्तव्यों को पूरा करने का साधन है।
अर्थात् शरीर का स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक है। इसी के होने से सभी का होना है। अतः शरीर की रक्षा और उसे निरोगी रखना मनुष्य का सर्वप्रथम कर्तव्य है। पहला सुख निरोगी काया।
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Image (C ) Dr Ajay Kumar Ojha |
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