From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature's Painting on 11 July 2020
(All the images are subject to IPR)
सुभाषितानि
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च।
रुग्णस्य चौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च।।
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च।
रुग्णस्य चौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च।।
प्रवास में विद्या मित्र होती है, घर में भार्या यानी पत्नी मित्र होती है , रुग्ण यानी रोगी का मित्र औषधि होती है और मृतक का या मृत्योपरांत धर्म ही मित्र होता है।
Image (C ) Dr Ajay Kumar Ojha |
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