शोक त्याज्य है !
सन्तापाद् भ्रश्यते रूपं
सन्तापाद् भ्रश्यते बलम्।
सन्तापाद् भ्रश्यते ज्ञानं
सन्तापाद् व्याधिमृच्छति।।
शोक करने से रूप-सौन्दर्य नष्ट होता है, शोक करने से पौरूष नष्ट होता है, शोक करने से ज्ञान नष्ट होता है एवं शोक करने से मनुष्य का शरीर दुःखों का घर हो जाता है। अतैव शोक करना त्याज्य है।
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