Monday, August 16, 2021

उदारस्य तृणं वित्तं

 


उदारस्य    तृणं   वित्तं   


उदारस्य    तृणं   वित्तं 

शूरस्य मरणं   तृणम्। 

विरक्तस्य  तृणं  भार्या 

   निस्पृहस्य तृणं जगत्।।  


उदार मनुष्य के लिए वित्त यानी धन तृण सदृश होता है, शूरवीर के लिए मृत्यु तृण सदृश होती है, विरक्त के लिए भार्या तृण सदृश होती है एवं निस्पृह (कामना रहित) मनुष्य के लिए जगत तृण सदृश होता है। 








अदृढ़ं  च  हतं  ज्ञानं      प्रमादेन  हतं  श्रुतम्। 

      संदिग्धो हि हतो मंत्रो, व्यग्रचित्तो हतो जपः।। 

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