Friday, August 20, 2021

मित्र की पहचान कब ?

 

मित्र की पहचान कब ?


जानीयात्प्रेषणेभृत्यान् 

बान्धवान्व्यसनाSSगमे। 

मित्रं ह्याSSपत्तिकालेषु 

भार्यां  च  विभवक्षये।। 



किसी महत्वपूर्ण कार्य पर भेजते समय सेवक की पहचान होती है।  व्यसन के समय में बन्धु - बान्धवों की पहचान होती है।  विपत्ति काल में मित्र की पहचान होती है एवं विभव-क्षय अर्थात् धन-संपत्ति के नष्ट हो जाने पर पत्नी की पहचान होती है। 

 

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