Friday, August 27, 2021

असली हितैषी कौन ?

 

असली हितैषी कौन ?



माता मित्रं पिता चेति स्वभावात् त्रितयं हितम्। 

कार्यकारणतश्चान्ये     भवन्ति    हितबुद्धयः।।  




माता, पिता एवं मित्र तीनों ही स्वभावतः हमारे हित  की भलाई की सोचते हैं।  हमारा हित करने के बदले में वे  किसी प्रकार की अपेक्षा नहीं रखते। इन तीनों के सिवाय अन्य व्यक्ति यदि हमारे हित की सोचते हैं तो उसके बदले में हमसे कुछ न कुछ अपेक्षा भी रखते हैं। 









Sunday, August 22, 2021

मधुर एवं दिव्य भाषा संस्कृत ( २२ अगस्त संस्कृत दिवस )

मधुर एवं दिव्य भाषा संस्कृत ( २२ अगस्त संस्कृत दिवस )



भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाणभारती। 

तत्रापि काव्यं मधुरं तस्मादपि सुभाषितम्।।


सभी भाषाओं में सबसे मुख्य, मधुर एवं दिव्य भाषा 'संस्कृत'  है।  उसमें भी काव्य मधुर होते हैं तथा काव्य में भी सबसे मधुर सुभाषित वचन होते हैं। 



भारतीय संस्कृति की परिचायक, सभी भारतीय भाषाओं की जननी, संसार भर की भाषाओं में प्राचीनतम एवं  समृद्धतम देवभाषा संस्कृत है। 


संस्कृत को विश्व पटल पर पहुँचाने में योगदान प्रदान करें। 

 

संस्कृत दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। 

 

Friday, August 20, 2021

मित्र की पहचान कब ?

 

मित्र की पहचान कब ?


जानीयात्प्रेषणेभृत्यान् 

बान्धवान्व्यसनाSSगमे। 

मित्रं ह्याSSपत्तिकालेषु 

भार्यां  च  विभवक्षये।। 



किसी महत्वपूर्ण कार्य पर भेजते समय सेवक की पहचान होती है।  व्यसन के समय में बन्धु - बान्धवों की पहचान होती है।  विपत्ति काल में मित्र की पहचान होती है एवं विभव-क्षय अर्थात् धन-संपत्ति के नष्ट हो जाने पर पत्नी की पहचान होती है। 

 

Monday, August 16, 2021

उदारस्य तृणं वित्तं

 


उदारस्य    तृणं   वित्तं   


उदारस्य    तृणं   वित्तं 

शूरस्य मरणं   तृणम्। 

विरक्तस्य  तृणं  भार्या 

   निस्पृहस्य तृणं जगत्।।  


उदार मनुष्य के लिए वित्त यानी धन तृण सदृश होता है, शूरवीर के लिए मृत्यु तृण सदृश होती है, विरक्त के लिए भार्या तृण सदृश होती है एवं निस्पृह (कामना रहित) मनुष्य के लिए जगत तृण सदृश होता है। 








अदृढ़ं  च  हतं  ज्ञानं      प्रमादेन  हतं  श्रुतम्। 

      संदिग्धो हि हतो मंत्रो, व्यग्रचित्तो हतो जपः।। 

मीठा वचन हितकारी !

 


मीठा  वचन  हितकारी !


अभ्यावहति    कल्याणं 

विविधं वाक् सुभाषिता। 

सैव  दुर्भाषिता  राजन् 

अनर्थायोपपद्यते। 



सुभाषित यानी मीठे वचन हितकारी होते हैं एवं उन्नति के मार्ग खोलते  हैं।  परन्तु वही वचन  दुर्भाषित हों  या कटुतापूर्ण शब्दों में बोले  जाएँ  तो दुःखदायी होते  हैं  तथा उसके दूरगामी दुष्परिणाम होते हैं। 

धर्म-विमुख बलवान असमर्थ होता है !

 


धर्म-विमुख बलवान असमर्थ होता है !



बलवानप्यशक्तोSसौ 

धनवानपि     निर्धनः। 

श्रुतवानपि  मूर्खोSसौ  

 यो धर्मविमुखो जनः।। 


जो व्यक्ति धर्म यानी कर्त्तव्य से विमुख होता है वह बलवान होकर भी असमर्थ, धनवान होकर भी निर्धन, एवं श्रुतवान यानी ज्ञानी होकर भी मूर्ख होता है। 





शोक त्याज्य है !



शोक त्याज्य है !



सन्तापाद्  भ्रश्यते  रूपं  

सन्तापाद् भ्रश्यते बलम्।

सन्तापाद्  भ्रश्यते  ज्ञानं 

      सन्तापाद् व्याधिमृच्छति।। 


शोक करने से रूप-सौन्दर्य नष्ट होता है, शोक करने से पौरूष नष्ट होता है, शोक करने से ज्ञान नष्ट होता है एवं शोक करने से मनुष्य का शरीर दुःखों का घर हो जाता है।  अतैव शोक करना त्याज्य है। 

'श्री रामचरितमानस' अनुसार सच्चा मित्र कौन है ?'

'श्री रामचरितमानस' अनुसार सच्चा मित्र कौन है ?'





'श्री रामचरितमानस' में एक बहुत ही सुन्दर प्रसंग है जो सच्चे मित्र के बारे में विस्तार से वर्णन करता है।  ये प्रसंग 'किष्किन्धाकाण्ड में है :

सच्चे एवं कुटिल मित्र की पहचान होना अत्यावशयक है गोस्वामी तुलसीदास जी ने  श्री रामचरितमानस में अच्छे मित्र के गुणों पर प्रकाश डाला है 

जे   न   मित्र  दुख  होहिं  दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी।।  

निज दुख गिरि सम रज करि जाना।  मित्रक दुख रज मेरु समाना।। 

कहने का तात्पर्य है कि जो लोग मित्र के दुःख से दुःखी नहीं होते , उन्हें देखने से ही भारी पाप लगता है। अपने पर्वत सदृश विकराल दुःख को धूल के कण के सदृश छोटा समझना पर मित्र के धूल के कण सदृश तुच्छ दुःख को भी सुमेरू पर्वत सदृश मानना ही सच्चे मित्र का लक्षण होता है। 

जिन्ह कें असि मति सहज न आई।  ते सठ कत हठि करत मिताई।।

कुपथ   निवारि   सुपंथ      चलावा।   गुन प्रगटै  अवगुनन्हि दुरावा।। 

जो लोग स्वभाव से मंदबुद्धि और मूर्ख होते हैं, ऐसे लोगों को आगे बढ़कर कभी भी किसी से मित्रता नहीं करनी चाहिए।  एक अच्छा मित्र होने के लिए बुद्धिमान और विवेकशील मनुष्य होना भी आवश्यक है।  इसका तात्पर्य यह है कि एक सच्चे मित्र का धर्म है कि वह अपने मित्र को अनुचित और अनैतिक कार्य करने से रोके, साथ ही उसे सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करे।  उसके सद्गुण प्रगट करे और अवगुणों को छिपाये।  


देत     लेत     मन    संक  न  धरई। बल  अनुमान  सदा  हित  करई।।

बिपति   काल  कर  सतगुन   नेहा।  श्रुति  कह  संत  मित्र  गुन  एहा।। 


किसी मनुष्य के पास अपरिमित धन-सम्पदा हो परन्तु यदि वह आवश्यकता के समय अपने मित्र के काम ना आए तो सब व्यर्थ है।  इसलिए अपनी क्षमतानुसार बुरे समय में विपत्ति में अपने मित्र की सहायता करनी चाहिए। एक अच्छे और सच्चे मित्र की यही पहचान है कि वह दुःख व विपत्ति के समय अपने मित्र की समुचित सहायता के लिए सदैव तत्पर रहे।  वेदों और शास्त्रों में कहा गया है कि विपत्ति के समय और अधिक स्नेह करनेवाला ही सच्चा मित्र होता है। 


आगें   कह    मृदु    बचन     बनाई।  पाछें   अनहित   मन  कुटिलाई।। 

जाकर   चित  अहि  गति सम भाई।  अस  कुमित्र  परिहरेहिं  भलाई।। 

 

वह मित्र जो प्रत्यक्ष में तो बनावटी मधुर वचन कहता है और परोक्ष में बुराई करता है, जिसका मन साँप की चाल के समान  वक्री हो अर्थात् जो आपके प्रति मन में कुटिल विचार व दुर्भावना रखता हो, हे भाई ! ऐसे कुमित्र का परित्याग करना ही श्रेयस्कर है। 



कुल नहीं, सदाचरण आपकी पहचान




कुल नहीं, सदाचरण आपकी पहचान  



न कुलं वृत्तहीनस्य प्रमाणमिति मे मतिः। 

  अन्तेष्वपि हि जातानां वृत्तमेव विशिष्यते।। 


ऊँचे कुल या नीचे कुल में जन्म लेने से मनुष्य की पहचान नहीं हो सकती। मनुष्य की पहचान उसके सत्कर्म से उसके सदाचार से उसके चरित्र से होती है, भले ही वह निम्न कुल में ही क्यों न उत्पन्न हुआ हो।  अपने आचरण से ही व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। 

अतैव सदैव श्रेष्ठ आचरण ही करना चाहिए, जन्म का भी महत्त्व है पर आचरण - चरित्र सर्वोपरि है। 



स्वतंत्रता के लाभ

 स्वतंत्रता के लाभ 


स्वातन्त्र्यात्   सुखमाप्नोति 

स्वातन्त्र्यात् लभते परम्। 

स्वातन्त्र्यात् निर्वृत्तिं गच्छेत्

  स्वातन्त्र्यात्   परमं   पदम्। 


स्वतन्त्रता से मनुष्य सुख को प्राप्त करता है, स्वतन्त्रता से परम तत्व को प्राप्त करता है, स्वतन्त्रता से निर्वृत्ति यानी शान्ति को  प्राप्त करता है, स्वतन्त्रता से परम पद को प्राप्त करता है। 

संगति का परिणाम

 


संगति का परिणाम 



यदि सन्तं सेवति यद्य सन्तं

    तपस्विनं यदि वा स्तेनमेव।  

 वासो यथा रङ्गवशं प्रयाति 

      तथा स तेषां वशमभ्युपैति।।  



कपड़े को  जिस रंग में रंगा जाए उस पर वैसा ही रंग चढ़ जाता है।  ठीक इसी प्रकार सज्जन के साथ रहने पर उनकी सेवा करने पर सज्जनता, चोर के साथ रहने पर चोरी एवं तपस्वी  के साथ रहने पर तपश्चर्या का रंग चढ़ जाता है। 


"संसर्गजा दोषगुणा: भवन्ति।" 

अर्थात् संसर्ग से संगति से, किसी के साथ किसी के संग रहने से दोष या गुण  उत्पन्न होते हैं।  जैसा संग वैसा मन। 

 


गुणा गुणज्ञेषु गुणा भवन्ति
ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः ।
सुस्वदुतोयाः प्रवहन्ति नद्यः
समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेयाः ।।  

मूर्ख के लक्षण

 


मूर्ख के लक्षण 



मूर्खस्य पञ्चचिन्हानि 

गर्वो  दुर्वचनं  तथा। 

क्रोधश्च     दृढ़वादश्च 

    परवाक्येष्वनादरः।।  


मूर्खों के पाँच लक्षण होते हैं - गर्व, दुर्वचन अर्थात् अपशब्द, क्रोध, दृढ़वाद यानी हठ एवं दूसरों की बातों का विचारों का अनादर करना।   

Saturday, August 7, 2021

 "India builds world's highest motorable road 

in Union Territory Ladakh"


The Border Road Organisation (BRO) has constructed World's highest motorable road yet another milestone, and thus smashing the previous record that was held by Bolivia. The road has been built in eastern Ladakh at a staggering height of 19, 300 feet.





BRO has built a 52 Km black-top road across Umlinga Pass , breaking the previous record for a road in Bolivia linking to the volcano at 18,953 feet .

The road was built at a greater elevation than Mount Everest base camps, with the south base camp in Nepal being 17,598 feet and north base camp in Tibet being 16,900 feet .

Umlinga pass is now connected with a blacktop road to enhance socio-economic conditions and promote tourism in Ladakh. It will prove to be a boon to the local population as it offers an alternate direct route connecting Chisumle and Demchok from Leh .


India builds world's highest motorable road

This road was built at a considerably higher height than the Siachen Glacier that stands at 17,700 feet above sea level. The temperature drops to -40 degrees Celsius in the winter , and the oxygen level is about half of regular areas at this altitude which makes infrastructure development in such a severe and difficult environment, exceedingly arduous.



Friday, August 6, 2021

"Photo of Upanishads Engraved on Library Wall in Poland Goes Viral"

"Photo of Upanishads Engraved on Library Wall in Poland Goes Viral" 



On social media platforms, a photograph of Upanishad words inscribed on the wall of a library in Poland has gone viral.

On the wall of the University of Warsaw, Library is written late Vedic Sanskrit writings of Hindu philosophy.

The Indian Embassy in Poland shared the photo on Twitter with the comment "What a lovely sight!!" 

"This is a wall of Warsaw University's library with Upanishads engraved on it. Upanishads are late Vedic Sanskrit texts of Hindu philosophy which form the foundations of Hinduism," The Indian Embassy tweeted.




 The photograph of Warsaw University's library has gone popular on social media, making Indian internet users proud.

The Upanishads are Hindu philosophical books written in late Vedic Sanskrit that constitute the basis of Hinduism.

They are the most recent section of the Vedas, Hinduism's oldest scriptures, and they deal with meditation, philosophy, and ontological knowledge.

Thursday, August 5, 2021

India, UK clinical trial of Ashwagandha for COVID-19

 

India, UK clinical trial of Ashwagandha for COVID-19




India`s Ayush Ministry has collaborated with the UK`s London School of Hygiene and Tropical Medicine (LSHTM)  to conduct a study on Ashwagandha for promoting recovery from COVID-19. The All India Institute of Ayurveda, an autonomous body under the ministry of Ayush, and LSHTM recently signed a memorandum of understanding to conduct clinical trials of Ashwagandha on 2,000 people in three UK cities - Leicester, Birmingham and London. Ashwagandha, commonly known as `Indian winter cherry`, is a traditional herb that boosts energy, reduces stress and makes the immune system stronger. It is an easily accessible, over-the-counter nutritional supplement in the UK, and has a proven safety profile. 


The successful completion of the trial can be a major breakthrough and give scientific validity to India`s traditional medicinal system. While there have been several studies on Ashwagandha to realize its benefits in various ailments, this is the first time the Ministry of Ayush has collaborated with a foreign institution to investigate its efficacy on COVID-19 patients. For three months, one group of 1,000 participants will be administered Ashwagandha tablets while the second group of 1,000 participants will be assigned a placebo, which is indistinguishable from Ashwagandha in looks and taste. Both patients and the doctors will be unaware of the group`s treatment in a double-blind trial. The participants will have to take the 500 mg tablets twice a day.A monthly follow-up of self-reported quality of life, impairment to activities of daily living, mental and physical health symptoms, supplement use and adverse events will be carried out.

                                                                   Courtesy PIO TV