From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature's Painting on 5 June 2020 during Unlock 1
(All the images are subject to IPR
"ये पेड़ ही हैं जो अपनी उपस्थिति, अपने दर्शन, अपनी उदार चेतना , अपनी अनंताराधना से, अपनी विराटोपासना से हमारे सीमित संकीर्ण जीवन में रस का, भाव का, आनंद का, आलोक का, सम्पूर्णत्व का भाव जगा सकेंगे। पेड़ मंदिर हैं, तीर्थ स्थान हैं, देव-प्रतिमा हैं, अध्यात्म पुरुष हैं, गीता हैं, रामायण है।
अब बताइए यदि पेड़ न हों तो जीवन कैसा होता ?"
निबंध : 'यदि पेड़ न होते ' से उद्धृत
पुस्तक : निर्माल्यं
लेखक : रवीन्द्र नाथ ओझा ( Rabindra Nath Ojha )
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