From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Dawn Nature's Painting on 25 June 2020 during Unlock 1
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सुभाषितानि
विद्वत्वं च नृपत्वं च न एव तुल्ये कदाचन्।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते।।
विद्वत्वं च नृपत्वं च न एव तुल्ये कदाचन्।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते।।
विद्वता और राज्य अतुलनीय हैं। राजा को तो अपने राज्य में ही सम्मान मिलता है पर विद्वान का सर्वत्र सम्मान होता है।
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Image (C ) Dr Ajay Kumar Ojha |
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