Friday, April 16, 2021

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting on 17 April 2021

                               From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

            'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting 
on 17  April  2021
            
              (The whole article along with all the images  are subject to IPR)




सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है।

यस्यास्ति वित्तं स नरः कुलीनः

स पण्डित स श्रुतवान् गुणज्ञः।

स    एव वक्ता स च दर्शनीयः

सर्वे  गुणाः  कांचनमाश्रयन्ते।।

जिसके पास वित्त है धन है वह कुलीन परिवार का है, वह पंडित है विद्वान् है, वही शास्त्रों का ज्ञाता है गुणज्ञ है, वही प्रभावी वक्ता है एवं वही दर्शनीय है। सभी गुण कांचन यानी सोना यानी धन में आश्रय लेते हैं। 
भर्तहरि के कहने का आशय है  कि  जो धनवान है जिसके पास धन है  वो अयोग्य व्यक्ति को भी योग्य  सिद्ध कर सकता है अर्थात् धन के बल पर अगुणी को भी गुणी सिद्ध किया जा सकता है। 







Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha


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