Monday, April 26, 2021

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 'Sanskrit Subhashitani' on 26 April 2021

                                      From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

            'Sanskrit Subhashitani' on 26  April  2021
            
              (The whole article along with all the images  are subject to IPR)




सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है। 


"आर्जवं हि कुटिलेषु न नीतिः।"
 कुटिल जनों के प्रति सरलता की नीति नहीं होती। 



Saturday, April 24, 2021

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting on 25 April 2021

                                 From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

            'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting 
on 25 April  2021
            
              (The whole article along with all the images  are subject to IPR)




सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है। 


"आज्ञा गुरुणामविचारणीया।"
गुरु की बड़ों की आज्ञा विचारणीय नहीं होती अर्थात् बिना विचार किए उसका पालन करना चाहिए।  



Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 








Friday, April 23, 2021

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting on 24 April 2021

                                   From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

            'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting 
on 24 April  2021
            
              (The whole article along with all the images  are subject to IPR)




सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है। 


"अनतिक्रमणीयो हि विधिः।"
विधि का भाग्य का अतिक्रमण/उल्लंघन नहीं किया जा सकता।   





Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 












Thursday, April 22, 2021

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting on 23 April 2021

                                 From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

            'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting 
on 23 April  2021
            
              (The whole article along with all the images  are subject to IPR)




सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है। 




"अनुलंघनीय: सदाचारः।"

सदाचार अनुलंघनीय है अर्थात् सदाचार का उल्लंघन  नहीं करना चाहिए। 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 









Wednesday, April 21, 2021

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting on 22 April 2021

                                 From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

            'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting 
on 22 April  2021
            
              (The whole article along with all the images  are subject to IPR)




सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है।

संस्कृत सूक्तियाँ 

"अनार्यः परदारव्यवहारः।" 
परस्त्री के विषय में बात करना अशिष्टता है। 

(भारतीय संस्कृति में स्त्री /नारी सदैव सम्मानीय रही है। पराई स्त्री तो और अधिक  आदरणीय होती  है।  अतः उनके विषय में अनावश्यक पूछताछ करना अनेक शंकाओं को जन्म देता है। )







Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 



Tuesday, April 20, 2021

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting on 21 April 2021

                                   From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

            'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting 
on 21 April  2021
            
              (The whole article along with all the images  are subject to IPR)




सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है।

'रामनवमी की शुभकामनाएँ।' 

"अत्यादरः शंकनीयः।"

अत्यधिक आदर-सम्मान किया जाना शंकनीय है, शंका-संदेह करने योग्य है। 



 



Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 





Monday, April 19, 2021

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting on 20 April 2021

                                       From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

            'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting 
on 20 April  2021
            
              (The whole article along with all the images  are subject to IPR)




सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है।




"अतिस्नेहः पापशंकी।"
अत्यधिक स्नेह या प्रेम पाप की आशंका उत्पन्न करता है। 




Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 



Illuminated Vishnustambh/Qutubminar at Midnight:Mehrauli Delhi India|जगम...

Illuminated Vishnustambh/Qutubminar at Midnight:Mehrauli Delhi India|जगमगाता कुतुबमीनार/विष्णुस्तम्भ



Sunday, April 18, 2021

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting on 19 April 2021

                                   From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

            'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting 
on 19 April  2021
            
              (The whole article along with all the images  are subject to IPR)




सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है।




आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो  महानरिपुः। 
  नास्त्युद्यमसमो   बन्धुः कृत्वा यं  नावसीदति।।  

आलस्य ही मनुष्य के शरीर में स्थित महान रिपु है सबसे बड़ा शत्रु है।  उद्यम यानी परिश्रम सदृश कोई बन्धु नहीं कोई मित्र नहीं, परिश्रम करने से मनुष्य अवसाद को प्राप्त नहीं होता।  


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 





Saturday, April 17, 2021

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting

                                  From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

            'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting 
on 18 April  2021
            
              (The whole article along with all the images  are subject to IPR)




सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है।




"अशान्तस्य कुतः सुखम्। "

अशान्त व्यक्ति को सुख कैसे मिल सकता है ?




Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 

Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha 









Pipara Don Tharuhat of West Champaran |Tharuhat Bihar | Tharuhat- Land o...

Pipara Don Tharuhat of West Champaran |Tharuhat Bihar | Tharuhat- Land of Tharu Tribe | थारू जनजाति




Friday, April 16, 2021

From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting on 17 April 2021

                               From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha : 

            'Sanskrit Subhashitani' with Nature Dawn Painting 
on 17  April  2021
            
              (The whole article along with all the images  are subject to IPR)




सुभाषितानि 



संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में  वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी  व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं  प्रेरणादायी हैं  प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है।

यस्यास्ति वित्तं स नरः कुलीनः

स पण्डित स श्रुतवान् गुणज्ञः।

स    एव वक्ता स च दर्शनीयः

सर्वे  गुणाः  कांचनमाश्रयन्ते।।

जिसके पास वित्त है धन है वह कुलीन परिवार का है, वह पंडित है विद्वान् है, वही शास्त्रों का ज्ञाता है गुणज्ञ है, वही प्रभावी वक्ता है एवं वही दर्शनीय है। सभी गुण कांचन यानी सोना यानी धन में आश्रय लेते हैं। 
भर्तहरि के कहने का आशय है  कि  जो धनवान है जिसके पास धन है  वो अयोग्य व्यक्ति को भी योग्य  सिद्ध कर सकता है अर्थात् धन के बल पर अगुणी को भी गुणी सिद्ध किया जा सकता है। 







Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha


Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha