From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Nature Dawn Painting on 06 December 2020
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सुभाषितानि
संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं प्रेरणादायी हैं प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी हैं।
अश्रुतश्च समुत्रद्धो दरिद्रश्य महामनाः।
अर्थांश्चाकर्मणा प्रेप्सुर्मूढ इत्युच्यते बुधैः।।
पढ़े बिना ही स्वयं को ज्ञानी समझकर अहंकार करनेवाला, दरिद्र होकर भी वृहत वृहत योजनाएँ तैयार करनेवाला, बिना श्रम किए बैठे-बिठाए धनार्जन की कामना करनेवाला व्यक्ति मूढ़ अर्थात् मूर्ख कहलाता है।
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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