Saturday, October 1, 2016

Wildlife Week Special : Dr Ajay Ojha in an Exclusive Talk With Lalit Bora on " Salman's Blackbuck Poaching Case"


Dr Ajay Kumar Ojha in an  Exclusive Talk With Lalit Kumar Bora on 
" Salman's Blackbuck Poaching Case"
(सलमान खान का "कृष्णमृग का अवैध शिकार")


वन्य जीव सप्ताह विशेष
Wildlife Week Special 

वन्य जीव, विशेष तौर से दुर्लभ जीव के संरक्षण के प्रति,  जागरूकता पैदा करने के  उद्देश्य से,  प्रति वर्ष १ से ७ अक्टूबर को, वन्य जीव सप्ताह मनाया जाता है। Black Buck दुर्लभ प्राणी की श्रेणी में ही आता है जिसका शिकार करना अवैध है। पर इसका अवैध शिकार हुआ जोधपुर के गुड़ा विशनोई गाँव में और वो भी फ़िल्मी कलाकार सलमान खान और उनके सह कलाकारों द्वारा।  और वो भी १ और २ अक्टूबर की मध्य रात्रि में।  २ अक्टूबर को "गाँधी जयंती" मनाई जाती है जो स्वयं अहिंसा के पुजारी थे और उनके जन्मदिन को " अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस " के रूप में भी मनाया जाता है।  एक बात और बता दें कि Black Buck का विशनोई समाज के साथ एक अनमोल भावनात्मक सम्बन्ध है, अपने बच्चों  से भी अधिक गहरा। 


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साभार : bishnois .wordpress .com 



अभी १ और २ अक्टूबर की मध्य रात्रि है।   सलमान खान के  "कृष्णमृग का अवैध शिकार' या " Salman's Blackbuck Poaching Case"की घटना को आज ठीक १८ साल हो गए हैं। प्रस्तुत है श्री ललित कुमार बोरा से हुई इस मुद्दे पर अनन्य बातचीत के मुख्यांश:




( सभी चित्र कॉपी राईट के अधीन हैं )


 ललित कुमार बोरा से बात करते हुए डॉ अजय कुमार ओझा 
Lalit Kumar Bora in Conversation with Dr Ajay Kumar Ojha





डॉ अजय कुमार ओझा  : "वन्य जीव सप्ताह" अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में  प्रति वर्ष  मनाया जाता है।  लोगों  को वन्य   जीव संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए।  लेकिन  १९९८ में  जोधपुर की एक घटना ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीव - जंतु प्रेमियों   को गहरा  आघात पहुँचाया , अत्यंत कष्ट दिया। वो कुप्रसिद्ध घटना है फ़िल्मी कलाकार  सलमान खान का "कृष्णमृग का अवैध शिकार' या "ब्लैक बक पोचिंग केस"। आप तो इस केस से  सीधे तौर  पर प्रारम्भ से ही जुड़े रहे हैं। आप  क्या  विस्तार  से  इस घटना का रहस्योदघाटन करना चाहेंगे ? वन्य जीव के हित में , लोगों के हित में, समाज के हित में , पर्यावरण के हित में। 

श्री ललित कुमार बोरा : Actually क्या है कि  अक्टूबर १९९८ में  "हम साथ साथ हैं " फिल्म की शूटिंग जोधपुर में हो रही थी।  नीलम , तब्बू , सोनाली, सैफ अली खान इस फिल्म में सलमान खान के Co Actors थे  और शूटिंग से जब समय मिलता था तो आस पास के इलाके में जानवर देखने  निकल जाया करते थे।  Basically  ये लोग २२ सितम्बर को ही आ गए थे।  शूटिंग का schedule सुबह, दोपहर, शाम हुआ करता था।  शूटिंग देखने के लिए अक्सर गाँव के लोग भी शूटिंग स्थल पर पहुँच जाया करते थे। 




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सलमान ,सैफ ,तब्बू , सोनाली और नीलम
साभार : pinkvilla.com




इसमें main point ये है कि सलमान ने travel agent को पहले बोलकर सफ़ेद open gypsy उपलब्ध कराने  के लिए कहा था।  इससे पता चलता है कि उनकी मंशा क्या थी ? फिर उसने क्या किया कि २६ और २८  सितम्बर को अपने Co Actors के साथ  शिकार पर गया । इसका खुलासा उस ड्राइवर ने किया जो उनके लिए गाड़ी लेकर आता था  और उस समय मेरी posting  वहां Wild Life Warden  के रूप में थी  तथा इस केस में मुझे जांच अधिकारी भी बना दिया गया था।  पहले तो ये बात मुझे मालूम नहीं थी। 



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साभार :bishnoisafari.com



१-२ अक्टूबर की रात में सलमान और उनकी मंडली  गुड़ा विशनोई गाँव गयी। गुड़ा विशनोई गाँव जोधपुर से करीब २०-२५ किलोमीटर है और यहाँ पर विशनोई समाज के लोग रहते हैं ।  विशनोई समाज २० और ९ यानी २९ नियमों का पालन करते हैं - जैसे सफ़ेद कपड़ा पहनना , पेड़ों की रक्षा करना , जीवों की रक्षा करना।  इसमें सबसे बड़ी बात ये है कि  यदि कोई  हिरण  का  बच्चा , जिसे Black Buck कहते हैं या चिंकारा कहते हैं, अपनी माँ को छोटी अवस्था में खो देता है  और उसको देखने वाला कोई नहीं होता तो विशनोई महिला उस हिरण  के बच्चे का लालन पालन अपने बच्चे की तरह करती है, उसे अपना दूध पिलाती है।  कभी कभी तो ये भी देखा गया है कि विशनोई महिला एक तरफ अपने बच्चे को दूध पिलाती होती है तो दूसरी तरफ हिरण  के बच्चे को।  ये आँखों देखी घटना है, कोई काल्पनिक नहीं , सुनी सुनाई नहीं।  तो ये special unique bonding है विशनोई समाज का  हिरणों  के साथ। 


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साभार pinterest.com


जहाँ तक बात है शिकार की  तो ये बताना आवश्यक है कि विशनोई समाज के लोगों ने रात को ही सलमान और उनकी मंडली को वहां पर शिकार करते हुए देख लिया था। ये करीब एक डेढ़ बजे की बात थी।  पूनम  चन्द पटाखे जैसी आवाज़ सुनकर घर से बाहर आया और देखा कि कोई गाड़ी आस पास जंगल में घूम रही है।  उसने फिर छोगा राम को नींद से उठाया ये सोचकर कि ऐसा तो नहीं कोई शिकारी आये हैं।  पूनम चंद  और छोगा राम अपने समाज के काफी प्रतिष्ठित  व्यक्ति हैं।  इन  दोनों ने अपनी मोटर साइकिल से गाड़ी का पीछा करना शुरू कर दिया।  वो गाड़ी ज्यादा तेजी से नहीं चल  पा रही थी क्योंकि जंगल  के उबड़ खाबड़ रास्ते से गुज़र रही थी।  पर इन लोगों ने  मोटर साइकिल से  आसानी से उनका पीछा करते हुए उनकी गाड़ी का नंबर नोट कर लिया। 

ये घटना पूनम चंद और छोगा राम के सामने हुई थी।  सलमान ने जिप्सी पर खड़े होकर फायर किया था। दूसरे दिन सुबह एक नहीं दो black buck के  शव मिले थे  जिनके बीच की दूरी करीब २०० से २५० फ़ीट रही होगी। 

 ललित कुमार बोरा से बात करते हुए डॉ अजय कुमार ओझा  
Dr Ajay Kumar Ojha (Left)  in Conversation with Lalit Kumar Bora (Right)



डॉ अजय कुमार ओझा : जानवरों का शिकार आमतौर पर लोग करते रहते हैं विशेष रूप से जंगलों में।  पर इस शिकार पर इतना हंगामा क्यों हो रहा है ?

श्री ललित कुमार बोरा :   खास बात ये  है  कि हाई प्रोफाइल लोग इसमें लिप्त हैं। उसके बाद मीडिया और समाचार पत्रों के माध्यम से ये घटना सार्वजनिक हो गयी और सब जगह चर्चे में आ गयी। फिर जीव -जन्तु प्रेमी स्वयं सेवी संस्थाएं भी सक्रिय हो गयीं।  और सबसे बड़ी बात जिन लोगों  के black buck  के साथ एक विशेष भावनात्मक सम्बन्ध हैं उन्हीं लोगों ने ही  इसका  शिकार होते अपनी आँखों से देखा। इस तरह के  हाई प्रोफाइल   लोगों का इस तरह के अवैध शिकार में लिप्त होना - साधारण इंसान सोच भी नहीं सकता था। उसी तरह से विशनोई समाज के लोगों ने सोचा होगा कि ये लोग हमारे यहां जानवरों  का शिकार करने आये हैं तो उनको पकड़वाना ही होगा , इनकी शिकायत करनी ही होगी। अमूमन कुछ लोग जंगल में तीतर का या ऐसे किसी जानवर का शिकार करते  हैं जिनको खाने को कुछ  भी नहीं मिलता - कभी कभार खरगोश को मार  दिया, कभी तीतर को खा लिया। पर इन लोगों ने तो एक शौक के तौर पर इस दुर्लभ प्राणी का अवैध शिकार किया।

तो पूनम चंद और छोगा राम सुबह होते ही office में आये और complaint दर्ज कराई थी कि  सलमान और उनके साथी रात को गाड़ी में आये थे और उसमें लोकल आदमी को भी बैठा रखा था जो महाराजा सैलून से था  और वहां पर इन लोगों ने black buck का शिकार किया था । २ अक्टूबर  सुबह में घटना दर्ज की गयी थी और विशेष रूप से देखें आप तो १ अक्टूबर से ७ अक्टूबर तक वन्य जीव  सप्ताह  ( Wildlife Week) मनाया जाता है।  यह वन्य जीव संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का विशेष प्रयास है ताकि लोग खासकर बच्चे  इसकी महत्ता को समझ सकें। उस समय हमारा जो ऑफिस था वो चिड़ियाघर में ही था।  २ तारीख को हमलोगों ने स्कूल के बच्चों के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता का विशेष आयोजन कर रखा था  जिसका उद्देश्य था बच्चों में वन्य जीव सुरक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करना। 













"Report of Examination of White New Maruti Gypsy RJ 19 1C 2201 Dated 7.10.98"
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha




"Report of Examination of White New Maruti  Gypsy RJ 19 1C 2201 Dated 7.10 98"
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha



जब ये घटना हुई उस समय हमारे उप वन संरक्षक जो थे श्री एम एल सोनल उन्होंने इसकी जांच शरू की।  मौके पर गए थे , पंचनामा वगैरह बनाये थे जो कि हमलोग wildlife के सन्दर्भ में करते हैं।  सोनल साहेब जब मौके पर कार्रवाई  के लिए गए तो एक डॉक्टर को भी अपने साथ ले गए थे - जानवर मारा गया है तो reason तो बताना होगा। Post Mortem तो करना होगा, इसके लिए चीड़ - फाड़ करने वाले को को भी ले जाया गया।  गाँव वाले काफी संख्या में उपस्थित हो गए थे जिनमें काफी आक्रोश था, बहुत गुस्सा था कि हमारे इस क्षेत्र में सलमान और उनकी मंडली ने  black buck का अवैध शिकार किया, इस क्षेत्र में जहाँ black buck के प्रति इतना सम्मान है, श्रद्धा है , प्रेम है, भावनात्मक लगाव है, इस क्षेत्र में जहाँ निर्दोष black buck बिना किसी भय के स्वच्छन्द  विचरण करते हैं।  

Post Mortem  रिपोर्ट के आधार पर ये  बताया गया कि overeating और jumping से black bucks की मृत्यु हुई है।  यहाँ ये स्पष्ट करना आवश्यक है कि जानवर कभी भी overeating नहीं करते और jumping इनकी फितरत है, स्वभाव है। कोई ब्लैक बक या चिंकारा होगा तो कुलांचे मारेगा ही।  और ये तो असंभव है कि कोई हिरण  overeating  या jumping से मरे। 


उसके लिए हमने फिर नया Board बनवाया। पशुपालन विभाग को लिख करके। चार डॉक्टर की टीम बनाई गयी। पहले डॉक्टर जिसकी  रिपोर्ट सही नहीं थी  उसके खिलाफ complaint दर्ज कराया गया। 

अब इसमें तो ७ तारीख तक तो मालूम ही नहीं हुआ कि ये घटना क्या हुई थी ? पूनम चंद ने जो जिप्सी का नम्बर बताया था उस नम्बर पर हमने inquiry शुरू की।    Transport  department से पता करवाया। २ अक्टूबर को छुट्टी भी थी इसलिए off the record मालूम करवाया तो मालूम पड़ गया कि ये जिप्सी किसकी है ?  Officially letter भी प्राप्त हुआ कि ये गाड़ी अरुण यादव की है। "उमेद भवन "जहाँ पर सलमान की टीम ठहरी हुई थी वहीँ पर एक ट्रेवल एजेंसी है "महाराजा सैलून " नाम की ।  यह ट्रेवल एजेंसी उमेद भवन में ठहरनेवाले "वी आई पी" लोगों के लिए तरह तरह के गाड़ियों की व्यवस्था करवाती थी ।  तो उसने ही,  अरुण यादव की सफ़ेद जिप्सी open hood वाली, सलमान के लिए व्यवस्था करवाई।  जाँच के लिए जब ये केस मेरे पास आया तो मैंने अरुण यादव को और  जिप्सी ड्राइवर को  पूछताछ के लिए अपने कार्यालय में तलब  किया । तब  पता चला कि सलमान और उनकी मंडली २६ और २८ तारीख  को भी शिकार के लिए गयी थी और उस दिन उन लोगों ने चिंकारा मारा था और होटल के अंदर ले जाके उसका मीट बनाया था। 

अब इसके लिए मेरे knowledge में तीन केस हो गए थे।  इसी बीच ८ तारीख को मैंने उन लोगों को arrest कर लिया था क्योंकि मेरे पास पुख्ता सबूत आ गए थे कि इन लोगों ने शिकार किया है। सैफ अली और सलमान की अग्रिम अर्ज़ी लग गयी थी कोर्ट में। तीनों लड़कियों को मुचलके पर छोड़ दिया गया।


 Image of Statement Recorded
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha


Image of Statement Recorded
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha


Interrogation के लिए हमने सैफ और सलमान को कार्यालय लाया। Session Court ने ज़मानत देने को रोक रखा था जब तक कि dairy नहीं आ जाती।  सैफ की ज़मानत मंज़ूर हो गयी पर सलमान की नहीं हुई। इसलिए नहीं हुई कि पहले तो उसने हमारे साथ दुर्व्यवहार किया और  दूसरे, चश्मदीद गवाह हरीश दुलानी और पूनम चंद ने उसे फायर करते हुए  देखा था। Circumstantial Evidence मिल गये थे - ब्लैक बक  की बॉडी, खून के निशान , जिप्सी के टायर के निशान, चश्मदीद गवाह।  अब रही बात कि  सलमान ने ब्लैक बक को मारने के लिए किस हथियार का इस्तेमाल किया था उसको बरामद करना ज़रूरी था।  ड्राइवर वगैरह बता रहे थे कि सलमान के पास हथियार थे  जो उस दिन वो साथ लेकर चला था । जब सलमान और उसके साथी डेढ़ बजे रवाना हुए थे तो उन्होंने दो बंदूकें जिप्सी में रखवायीं थीं। हमलोगों को ये हथियार उससे बरामद करने थे।  कोर्ट के अंदर जाकर मैंने  सलमान को Forest Custody में ले लिया। Forest Department में न तो FIR होता है और न चालान। Offence Detection Report (ODR)  होती  है। Forest Custody में गवाह का बयान मुज़रिम के सामने और मुज़रिम का बयान गवाह के सामने लिया जाता है। Wildlife Protection Act १९७२  के तहत अगर किसी गवाह का बयान मुज़रिम के सामने कराया जाए तो कोर्ट में मान्य होता है। पूनम चंद के बयान हमने सलमान के सामने कराये।  ड्राइवर हरीश दुलानी  के बयान भी सलमान के सामने करवाये। यहाँ पर एक बात मैं कहना चाहूँगा कि प्रशासन का इस केस के अंदर इतना दखल था कि मुझे लगा कि अगर प्रशासन इतना दखल नहीं देता तो इस केस का रूप अलग ही होता।  हर आदमी हमीं लोगों से question  कर रहा था - क्यों पकड़ा ?किसलिए पकड़ा ? क्या ज़रुरत थी पकड़ने की ? ऐसा लग रहा था कि मैने ही कोई अपराध किया है और मैं ही मुज़रिम हूँ। जबकि मैं तो अपना सरकारी दायित्व पूरी निष्ठा से निभा रहा था।  सरकार की तरफ  से DG Police और Chief Wildlife Warden भी आ गए थे। Vigilance Chief  या  Commissioner भी आ गए थे। हर आदमी अपने तरीके से हमें सम्भल कर काम करने की सलाह दे रहा था।  ऐसे लग रहा था जैसे हमने ही अवैध शिकार किया है। 

Driver को बुलाकर  तीन बार अलग अलग पूछताछ की गयी । फिर मुझसे उन सबके सामने पूछा गया , तरह तरह के सवाल किये गए।                     
२६ को शिकार हुआ है, २८ को भी शिकार हुआ है और २ अक्टूबर को भी। जाँच में सब कुछ बरामद हो चुका है , ब्लैक बक का शव भी।  ८ तारीख को जब मैंने जिप्सी का मुआवना किया तो bonnet के ऊपर काला निशान मिला जैसे कि कुछ जला हो।  जब bonnet को खोला  तो ठीक उसके नीचे battery थी और driver हरीश दुलानी का बयान कि  उनके साथ जो गाड़ी में बैठे थे तुलाजी आंग्रे (मध्य प्रदेश के रॉयल परिवार के ), इन लोगों ने search light लगाई थी जिसका करंट जिप्सी की बैटरी से ली थी। उस समय शार्ट सर्किट होने की वजह से bonnet पर काला निशान आ गया था।  फिर जिप्सी का निरीक्षण करते हुए मैंने पाया कि पीछे की सीट पर दो पॉलिथीन के टुकड़े लटक रहे थे जिस पर लाल -काले निशान लगे हुए थे।  उस समय हमने लिख दिया कि कुछ जगहों पर लाल-काले निशान मिले हैं और उसको फॉरेंसिक लैब में भेज कर उसकी बारीकी से जाँच करवाई जाये। 






२६ और २८ सितम्बर को जो शिकार की घटना हुई थी उसमें मौके पर खून के निशान, जिप्सी के टायर के निशान और होटल के अंदर जिसने चिंकारा की खाल उधेड़ी  थी वो आदमी, जिसने मीट बनाया था, उन सबके बयान हमने लिए थे । इस केस को हमने पुलिस में दर्ज करा दिया। इन्वेस्टीगेशन से सम्बंधित जो भी चीजें हमारे पास थीं  पुलिस को सुपुर्द कर दिया। 


ब्लैक बक का केस था वो हमारे पास था जिसमें विशनोई समाज के सम्मानित लोग चश्मदीद गवाह थे। 



 ललित कुमार बोरा से बात करते हुए डॉ अजय कुमार ओझा  
Lalit Kumar Bora in Conversation with Dr Ajay Kumar Ojha


डॉ अजय कुमार ओझा : क्या चिंकारा और ब्लैक बक  केस दोनों  अलग अलग हैं ?

श्री ललित कुमार बोरा :  हाँ अलग अलग हैं। Actually ये Black Buck के नाम से इसलिए चर्चा में आया  और  प्रसिद्ध हुआ क्योंकि २ अक्टूबर की घटना को विशनोई समाज के लोगों ने  देखा, इसके पीछे पड़े और इसकी शिकायत की।  ये Black Buck केस था। इसकी जब हमने जाँच शुरू कि तब हमें मालूम हुआ कि सलमान और इनकी मंडली ने चिंकारा भी मारा है। २६ और २८ सितम्बर को ही ये  लोग चिंकारा को मार चुके थे। सबसे बड़ी बात इसमें यह भी थी कि इनका जो arm licence था वो २२ सितम्बर को ही expire हो हो गया था। 

तो हमने इन पर कुल चार दर्ज किये :
एक black buck poaching केस , 
दो चिंकारा का केस और
 एक Arms Act का केस। 

राजस्थान सरकार  की तरफ से ये हमने चार केस दर्ज किये और एक केस उस डॉक्टर के विरुद्ध जिसने ग़लत post mortem रिपोर्ट दी। 



"What he has said he has said in front of me. But I do not agree with it." A statement written by Salman Khan
With signature of Lalit Bora , Salman Khan & Harish
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha
"I do not agree with what he has said but he has said it in front of me." A statement written by Salman Khan 
With signature of Lalit Bora , Salman Khan & Harish 
Image (C) Dr Ajay Kumar OjhaAdd caption



कार्यालय में सलमान की पूछताछ के दौरान की गयी वीडियो रिकॉर्डिंग का स्क्रीन शॉट 
इमेज : डॉ अजय कुमार ओझा 









  

बाद में जब black buck केस की जाँच चल रही थी तब मैंने सलमान खान का फारेस्ट कस्टडी में होने के दौरान पूछताछ की थी और उसकी वीडियो  रिकॉर्डिंग भी की थी।  इस पूछताछ में सलमान को बिठाया, हरीश दुलानी  को बिठाया, पूनम चंद को बिठाया और एक हमारे साथी अफसर थे उनको बिठाया।  सलमान के सामने भी उन लोगों ने बिलकुल वही बयान दिये जो उन्होंने पहले दिया था। इसके बाद जब सलमान का दस्तखत लेने गए तो वो भड़क गया , उसने कहा - मैं दस्तखत क्यों करूँ ? उसने किनारे लिखा था कि - "Whatever he has said, I do not agree with him."   हमारे लिए यह एक महत्त्वपूर्ण साक्ष्य था। इसके बाद हमने पूनम चंद और छोगा राम के बयान भी  सलमान के सामने ही लिए। उसकी भी रिकॉर्डिंग करवाई और दोनों ने स्पष्ट रूप से ये कहा कि हम जानते हैं कि ये सलमान खान हैं, हमारे यहाँ ये कई बार आ चुके हैं।  हमने देखा है कि ये कभी काले हिरण के पीछे गाड़ी दौड़ाते थे, कभी फोटो खींचते थे, कभी चाय की दूकान पर बैठ कर तस्वीरें लेते थे। इनको हमने कई बार देखा है साथ में लड़कियाँ भी होती थीं। मैंने पूनम और छोगा राम से पूछा था कि तुम इन लड़कियों को कैसे जानते हो ? तो उन्होंने ये बताया कि "रात दिन इनकी फोटो टीवी और समाचार पत्रों में आती रहती है। हम शूटिंग देखने भी गए थे तो हमें पता है कि नीलम कौन है, तब्बू कौन है , सोनाली कौन है।" आपको मैं ये बता दूँ कि जब हमने  forest custody में लिया था तो इनको titamba बयान के लिए बुलाया था । 



 ललित कुमार बोरा से बात करते हुए डॉ अजय कुमार ओझा 
Lalit Kumar Bora in Conversation with Dr Ajay Kumar Ojha 




डॉ अजय कुमार ओझा : ये titamba बयान  क्या होता है ?

श्री ललित कुमार बोरा : किसी बयान की पुष्टि के लिए जब दुबारा बयान लेते हैं उसको titamba बयान कहते हैं। विशनोई समाज की commitment देखिये - इस titamba बयान के लिए जब पूनम चंद और छोगा राम आये थे तो उन्होंने हमसे पूछा कि हमने जो रिपोर्ट दर्ज कराई थी उसका आपने क्या किया, कहाँ तक पहुँची है जांच की प्रक्रिया ?

यहाँ यह देखने वाली बात है कि विशनोई समाज कितना जागरूक है, कितना प्रतिबद्ध है और इस केस से  भावनात्मक रूप से कितना जुड़ा है। 



"Result of Examination of Arms"
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha


सलमान को forest custody में लेने का मुख्य मक़सद था मुम्बई में भिजवाये गए हथियारों को बरामद करना।  या तो खुद जाये या उसे मँगवाये। सलमान ने इसके लिए अपने एक आदमी को अधिकृत करवाया था। वो आदमी था उदय राघवन। उसको सलमान ने कहा " तू मेरे घर से हथियार ले के आ और forest department में surrender कर दे। " उस हथियार में उसके पास एक rifle थी जो  .२२ Bore  की थी और एक revolver था जो .३२ Bore का था। जब ये सलमान ने  fax करवाया था तो उदय राघवन ने उसके behalf पर हमको ये हथियार जमा करवाये  थे । लेकिन उस दरम्यान जबतक हथियार नहीं आया तबतक हमारी custody में था सलमान।  वहीं पर वो सोया हमारे ऑफिस में। ये भी कहा उसने कि "मैं आपके department की पूरी ग़रीबी दूर कर दूँगा। मुझे छोड़ दो। मेरी शादी होनेवाली है सोमी  अली से। बोरा जी मेरा क्या होगा ?मेरी फिल्मों का क्या होगा ?" सलमान एक समय यहाँ तक तैयार हो गया था कि magistrate के सामने बयान दे दूँगा कि मुझसे ग़लती हो गयी है लेकिन बाद में उसने मुझसे English में कहा था ," Bora Saheb, please do not inform magistrate because my advocate has suggested that once we have taken a stand we will remain firm on it." As it is मुझे अभी तक ये line याद है। इतनी पूछताछ हो चुकी थी कि वो admit करने ही वाला था - खैर !

अब  हमें उससे छुरी बरामद करनी थी जिससे उसने चिंकारा हलाल किया था।  हरीश ने अपने बयान में कहा था कि सलमान के  पास एक छुरी है जिससे उसने हलाल किया था , कलमा पढ़ा था। जब मैंने सलमान से पूछा कि छुरी कहाँ है तो उसने कहा कि एक  छुरी मैं हमेशा अपने पास रखता हूँ। तो मैंने पूछा कि अभी कहाँ है ?  तो उसने कहा कि आप जब कहो मैं उपलब्ध करा दूँगा। 

उस समय हमारे एक अधिकारी थे , कहना तो नहीं चाहिए फिर भी मैं कहूँगा। उनका नाम है Ishaq Ahmed Mughal और विशेषरूप से इसी  पूछताछ  के दौरान उन्होंने बहुत ज़्यादा दखलंदाज़ी की। उन्होंने कहा " आपलोगों को बयान लेना है तो हलाल -वलाल की बातें क्यों करते हो ?" जबकि हरीश के बयान में स्पष्ट आया था कि सलमान ने  हलाल किया था।  हम तो बस ये पूछ रहे थे कि  वो छुरी कहाँ है  जिससे सलमान ने हलाल किया था ?


जब ये पूछताछ चल रही थी तो सैफ अली खान ने पूछा कि  ये हलाल  का मतलब क्या होता है ? तो हमारे एक जूनियर साथी (सह जांच अधिकारी ) ने casually बताया कि मुस्लिम धर्म के रीति - रिवाज़ में कलमा पढ़ते हैं और जानवरों की बलि देने के लिए उसका हलाल करते हैं, गले में cut लगा के। यह सुनकर सैफ भड़क गया, table फेंकने लगा और काफी उग्र हो गया। उसने यहाँ तक कहा कि हिन्दू - मुस्लिम की बातें करके भड़का रहे हो।  मुझे तो ये डर लगने लगा कि कहीं ये हमारी फाइलें न फाड़ दे।  मैं फाइल दबा के बैठ गया।  उसने गाली-गलौज की, कई अपशब्दों कहे और इस तरह से बोला , " Mr Bora I will go to Prime Minister, I will talk to President. Do not forget if you are Forest Officer then I am Virappan." सलमान भी इस बात पर तैश में आ गया और बोला, " I am too." इस तरह से दोनों ने हमारे साथ बड़ा ही अभद्र व्यवहार किया। उस समय Mr Mughal ने आग में घी का काम किया। उल्टा हमें ही बोला, " आपको तो बयान लेने ही नहीं आता।  उल्टा -सीधा सवाल पूछते हो। " जो भी logistic support की सलमान को ज़रूरत थी वो सब उसने उपलब्ध करवाया - जैसे सिगरेट पिलाना , बाहर से खाना या कुछ भी  मंगाना, जिस किसी  चीज़ की भी सलमान को ज़रूरत थी वो सब व्यवस्था Mr Mughal करते थे। 


हथियार बरामद होने के बाद Forensic Lab को भेज दिया गया।  रिपोर्ट आयी तो उसमें लिखा था , " Barrel residue indicates that the arms have been used. Exact date and time can not be ascertained." वो possible ही नहीं था।


ये रिपोर्ट भी आ गयी। तो कुल मिलाकर चिंकारा के केस में जितने भी साक्ष्य थे वो सारे के सारे आ गए।  अब उसमें भी सिर्फ एक बात proof करनी बाकी रह जाती है - ये जो जिप्सी में लगा खून है वो चिंकारा का है।  जिप्सी का खून ,चिंकारा का खून,जिप्सी के matting पर  लगा खून और चौथा जो sink की tube  में जहाँ पर चिंकारा को धोया गया था उस पर लगा या जमा खून।  जब इन सभी खून के sample match कराये गए तो पाया गया कि चारों जगहों का खून एक ही है यानि चिंकारा का ही है। मौके पर जिप्सी का जाना , उस पर उन लोगों का बैठा होना, हरीश दुलानी  का मौका -ए - वारदात पर होना, और सबके बयान दर्ज किया जाना। ये दोनों केस ऐसे हो गए जिसमें full proof साक्ष्य मिल गए। चिंकारा के एक केस में सलमान को दो साल की सजा और दूसरे केस में पाँच साल की सजा हुई। पर हाल ही में सलमान को High Court से बरी कर दिया गया जिसमें दलील दी गयी थी कि छोटी सी छुरी से हिरण मार ही नहीं सकते। जबकि हिरण  इतना कमसिन जानवर होता है कि उसकी आँखों पर अगर search light मारा जाए तो वह वहीं का वहीं खड़ा रह जाता है और   सब्ज़ी काटने वाले साधारण चाकू से भी आराम से मारा  जा सकता है। 


Black Buck केस अभी court में चल रहा है। Cross Examination  काफी

लंबा चला।  मेरा बयान अभी चल ही रहा है।  जिस तरह से Hit & Run केस में सलमान बरी हो गया वैसे ही Chinkara केस में भी जोधपुर High Court से बरी हो गया।  

अब राजस्थान सरकार जो  है मानस बना चुकी है कि Supreme Court  में चिंकारा के दोनों केस को ले जाया जाए। Black Buck केस तो अभी Trial Court में ही है जिसमें मेरे बयान होंगे उसके बाद फैसला आएगा। मेरे बयान की अगली  तारीख ४ अक्टूबर है। 


एक बात मैं बताना भूल रहा था कि मैंने DNA  जांच भी करवाया था।  Black Buck की हड्डियां जो मैं seize करके  हैदराबाद ले गया था उसकी मैंने Centre for Cellular & Molecular Biology में जाँच करवाई जिससे ये साबित हो गया कि ये हड्डियां उन्हीं  दोनों Black Buck  की ही हैं जिनका शिकार हुआ था।


सबसे  रोचक बात।  ४ अक्टूबर को मेरा बयान है और उसी वीडियो  पर जिरह होगी जिसमें  सलमान के सामने लिए गए गवाहों के बयान  मैंने दर्ज किये हैं।कोशिश करूँगा कि उसी दिन मेरा बयान पूरा हो जाए। 

डॉ अजय कुमार ओझा : इस संवेदनशील मुद्दे पर पहली बार हमसे  ही विस्तार से बातचीत करने के लिए आपने अपना  अमूल्य समय दिया इसके लिए हम आपके अत्यंत आभारी हैं। आपको अनेकानेक धन्यवाद। वन्य जीव संरक्षण के लिए निष्काम भाव से सतत प्रयत्नशील रहने के लिए आपको अनेकानेक शुभकामनाएँ। 

श्री ललित कुमार बोरा : डॉ अजय कुमार ओझा जी आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद। 

   














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