From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Nature Dawn Painting on 15 February 2021
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सुभाषितानि
संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं प्रेरणादायी हैं प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है।
"अल्पमति क्षितौ क्षिप्तं वटबीजं प्रवर्धते।
जलयोगात् यथा दानात् पुण्यवृक्षोSपि वर्धते।"
भूमि पर डाला हुआ छोटा सा वटवृक्ष का बीज जैसे जल के योग से बढ़ता है वैसे ही पुण्यवृक्ष भी दान से बढ़ता है।
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Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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