From the Eyes of Dr Ajay Kumar Ojha :
Nature Dawn Painting on 20 February 2021
(The whole article along with all the images are subject to IPR)
सुभाषितानि
संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है एवं विश्व की सभी भाषाओं में वैज्ञानिक भी। भारतीय संस्कृति में संस्कृत भाषा का अत्यन्त महत्त्व है। संस्कृत भाषा को देव भाषा भी कहते हैं। हमारे ऋषि-मनीषियों ने अपनी व्यक्तिगत साधना, अनुभव तथा ज्ञान के आधार पर अनेकानेक श्लोकों की रचना की हैं जो समस्त मानव के लिए ज्ञानदायी हैं प्रेरणादायी हैं प्रोत्साहनदायी हैं कल्याणकारी है।
" श्रमेण लभ्यं सकलं न श्रमेण विना क्वचित्।
सरलांगुलि संघर्षात् न निर्याति घनं घृतम्।।"
श्रम से सबकुछ/सकल लभ्य है प्राप्य है श्रम के बिना कुछ नहीं मिलता। सरल अंगुली के संघर्ष से अर्थात् सीधी अंगुली से घी नहीं निकलता।
Image (C) Dr Ajay Kumar Ojha |
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